Mathura-History

मथुरा
Mathura - History at a glance


मथुरा, तीन लोक से न्यारी नगरी का इतिहास बहुत उथल पुथल वाला रहा है!

- प्राचीन इतिहास:
मधु दैत्य की बाद यह मधु-वन उसके पुत्र लवणासुर के अधिकार मे आया! दशरथ पुत्र शत्रुघ्न जी ने लवणासुर का वध किया एवम् यह जंगल को साफ़ करवाकर शहर बसाया! शहर का नाम मधु-पुरी या मथुरा था! शत्रुघ्न जी के देवरोहण के बाद गोवेर्धन के राजा भीम ने मथुरा को अपने अधिकार क्षेत्र मे ले लिया! उसके बाद यह 'ज़दु' के अधिकार क्षेत्र में आया, इसी 'ज़दु वंश के आख़िरी राजा उग्रसेन थे!

- मध्यकालीन एवम् आधुनिक इतिहास:

  • ६ शताब्दी ईसा पूर्व: सुरसेन राज्य की राजधानी (सूरसेनी)
  • २ शताब्दी ईसा पूर्व: बौद्ध धर्म की मथुरा मे शुरुआत
  • मौर्या साम्राज्य (३२२ - १८५ ईसा पूर्व):अपने पूर्ण वैभव पर, बौद्ध धर्म की शुरुआत
  • कुशान साम्राज्य (३० - ३७५ ईसवी): कनिष्क की राजधानी, पूर्ण वैभव, बौद्ध धर्म
  • गुप्त साम्राज्य (३२० - ५५० ईसवी): आध्यात्म एवम् व्यवसाय का केन्द्र, पूर्ण वैभव, बौद्धधर्म का पतन
  • ४११ ईसवी: चीनी यात्री फ़ाई-ह्यान मथुरा आया एवम् उसने मथुरा को बौद्ध धर्म का केन्द्र पाया
  • ६३४ ईसवी: चीनी यात्री ह्वें सांग मथुरा आया एवम् उसने मथुरा से बौद्ध धर्म का पतन पाया
  • १०१९ ईसवी: महमूद ग़ज़नी ने मथुरा को लूटा एवम् विध्वंश किया! महावन पर आक्रमण कर राजा कुलचंद को साथ युद्ध में हराया..विध्वंश किया! (ग़ज़नी के कवि 'उतबी' ने अपनी रचनाओं मे मथुरा के वैभव का वर्णन किया है! ग़ज़नी के विध्वंश के बाद मथुरा को बहुत बुरे समय से गुज़रना पड़ा! वापस शहर को ठीक से बसने मे 300 साल लगे; उस समय यह उजाड़ क्षेत्र मेवाती डाकुआओं का शरण स्थल बन गया!)
  • १४वी सदी: श्री हरिदास के समय से वृंदावन एवम् मथुरा की पुन:रचना एवम् पुन: स्थापना हुई!
  • १५०० ईसवी:सिकंदर लोदी ने मथुरा के मंदिरों को विध्वंश किया, शहर को लूटा! केशव देव जी के मंदिर को सिकंदर लोदी ने ध्वस्त किया..हिधू धर्म को नष्ट करने के भरसक प्रयास किए...
  • अकबर (१५५६ - १६०५): अकबर ने शैख़ अब्द-उन नबी को सद्र-उल-सदुर (१५६५ - १५८३) बनाया. अब्द-उन नबी ने क़ाज़ी अब्द-उर रहीम की शिकायत पर मथुरा के ब्राह्मानो पर ज़ुल्म ढाए..
  • बुंदेला के राजा वीर सिंह देव (१६०५- १६२६) ने अकबर के दरबारी अब-उल फ़ज़ल को ख़त्म करके जहाँगीर का दिल जीता एवम् जहाँगीर को केशव देव मंदिर के निर्माण के लिए मनाया. राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने मथुरा मे केशव देव मंदिर का निर्माण कराया!
  • जहाँगीर एवम् शाहजहाँ के समय ब्रज क्षेत्र में मुगलों का कोई खास लगाव नही था! वह इस क्षेत्र को अपने शिकारगाह के रूप मे उपयोग करते थे! (उल्लेख: नूरजहाँ ने मथुरा मे बाघ का शिकार किया! शाहजहाँ ने महावनमे 4 बाघ का शिकार किया!)
  • औरेंगज़ेब का मथुरा मे रूचि जागृत हुई!
  • १६६१-६२:औरेंगज़ेब के शासन काल के मथुरा के गवर्नर (१६६० - १६६८) 'अब्द-उन-नबी ख़ान' ने जामा मस्जिद का निर्माण एक मंदिर की जगह पर करवाया!
  • १६६९: औरेंगज़ेब ने केशव देव मंदिर, गोबिंद देव मंदिर आदि अन्य मंदिरो को तुडवाया एवम् केशव देव मंदिर की जगह मस्ज़िद का निर्माण कराया (मथुरा के जाटों के अब्द-उन नबी को सिहोरा मे मार गिराया; औरेंगज़ेब के लिए यह एक चुनौती थी, परंतु उसी समय दक्कन की जीत औरेंगज़ेब के लिए ज़्यादा ज़रूरी थी)
  • १७५७ ईसवी: अहमद शाह दुर्रानी ने मथुरा पर आक्रमण किया, लूटा, मंदिरो को, शाहर को ध्वस्त किया!
  • १७२० ईसवी: औरेंगज़ेब की मृत्यु के बाद, सिनसीनी के जाट 'भज्जा' एवम् बाद मे उसके पुत्र 'चुरामन' ने 'बरहा सय्यद' एवम् मंत्री 'अब्दुल्ला ख़ान' के साथ मिलकर 'मुहम्मद शाह' के खिलाफ लड़ाई की...(Battle of Shahpur, Kosi)
  • १७७६: नजफ़ ख़ान ने जाटों को हरा कर मथुरा को जीता
  • १७८२: मराठा(सिंधिया) का मथुरा पर अधिकार
  • १८०३: ईस्ट इंडिया कंपनी का मथुरा पर अधिकार (Treaty of Anjanguam)


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मथुरा - (अकबर काल)

अबुल फ़ज़ल आलमी (Abul Fazal Allami) सम्राट जलालुद्दीन अकबर के नव-रत्नों में से एक थे! अबुल फ़ज़ल ने आईने अकबारी, अकबर नामा को लिखा था जो की मुगल (या अकबर कालीन) इतिहास या तत्कालीन व्यवस्था को दर्शाता है!
अबुल फ़ज़ल सम्राट अकबर के दरबारी थे और उन्हे सम्राट अकबर के जीवन गाथा लिखे के लिए मुक़र्रर किया गया था! तो यह तो निश्चित है की उन्होने उन तथ्यों को उजागर नही किया होगा जो की तत्कालीन व्यवस्था पर धब्बे रहे होंगे!
आईने-अकबरी के अनुसार आगरा एक सूबा था एवम् ब्रज इस सूबे की एक सरकार था! ब्रज के अंदर कई sub-division थे! (उस समय की इस राज व्यवस्था को आज की राज्य -मंडल - जिला के साथ समझ सकते हैं) महोली भी एक sub-division थी जहाँ परिहार सत्ता मे थे! हर सरकार के पास खेती का राजस्व, लगान, सेना आदि की व्यवस्था होती थी!
ब्रज में 16 महल, 2,202,124 बीघा, 18 बिस्वा खेती ज़मीन, 37,780,421 दाम राजस्व, 456,493 दाम लगान (suyurghal), 6160 घुड़सवार सेना, 190 हाथी सेना, 68,500 सैनिक थे!
उस समय ब्रज के sub-division निम्न थे:
1. परिहार
2. भन्देर (फन्देर)
3. बीजपुर
4. पंढोर
5. झत्रा (शायद छाता)
6. रायबंध
7. शहज़ादपुर
8. खटोलाह
9. खाज़ोध
10. कीदार (केद्पुर)
11. कुंछ
12. ख़ाकेश (खंकेस)
13. कांति
14. खेरा
15. महोली

इनमे से ज़्यादातर नाम आजकल अपभ्रंश होकर किसी और नाम से जाने जाते होंगे!
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~~~~~ मथुरा ---आदि वाराह क्षेत्र ~~~~~

माणिक चौक मे वाराह जी का मंदिर: किदवंती है की इस विग्रह को को कपिल मुनि ने प्रकट करके देवराज इंद्र को दी! इंद्र से इसको इंद्रजीत ले गया! राम के रावण वध के पश्चात विभीषण ने ये मूर्ति श्री राम को दी! जिसकी स्थापना अयोध्या मे हुई! लवणासुर के वध के पश्चात जब शत्रुघ्न जी जब अयोध्या वापस गये तो यह विग्रह की स्थापना मथुरा में की गयी! भगवान विष्णु के दशावतार इस विग्रह में उध्र्यत हैं. कल्कि अवतार भी इसमे बने हुए हैं! इसी वजह से मथुरा को आदि वाराह क्षेत्र भी कहते हैं!

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~~~~राजा कुलचंद~~~~

महमूद गज़नी के नौंवे आक्रमण (1017 AD) में राजा कुलचंद ने सीधे युद्ध किया! उन्ही राजा कुलचंद के किले के अवशेष महावन में सड़क किनारे मिट्टी के तिलों मे दबे हुए दिखते हैं! युद्ध में 50,00 लोग मारे गये! राजा कुलचंद ने कटार से पहले अपनी पत्नी फिर अपनी जान ले ली! 
Reference: "तारीख यमनी" द्वार अल-उतबी (Tarikh Yamani by Al-Utbi)



 Picture#1: Vishram Ghat

 Picture#2: Sati Burj in background [Picture taken: 1865]




 Picture#3: Stone Tablet - Juma Masjid
Which state that Abd-un-Nabi Khan built this mosque after demolishing hindu temple

Picture#3: Jama Masjid - 1850


Picture#4: Masjid - Abd-un-Nabi

Picture#5: Indian Railways at Mathura
(Shri Dwarikadheesh Temple on Railways Booklet)


Picture#6: Entrance of Shri Rangji Temple [Picture taken: 1860]


Picture#7: Shri Rangji Temple

Picture#7: Gopinath Temple [Picture taken: 1815]

Picture#8: Govind deb Ji temple [painting by Sitaram]


Picture#9: Brindavan - 1795



 Picture#10: Ma Yamuna [1865]


Picture#11 Mathura 1815



Picture#12: Chowk Bazaar [Picture taken: 1903]

Picture#13: Vishram Ghat [Picture taken: 1860]

Picture#14: Vrindavan

Picture#15: Kankali Tila - 1889

Comments

Sumit Gautam said…
Query#1: Whether Sahar was a paraganah of Mathura that time?
Answer#1: Sahar was independent sarkar (district) under Agra subah. Sahar had following pargana: Pahari, Bhadauli, Sahar, Kama, Koh Mujahid, Nunherah and Hodal

Jinesh said…
6th,7th,8th century AD k mathura k rajao k naam kaha se milenge?

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