Mathura-Railways

रेल यातायात


राजपूताना रेलवे एवम् ईस्ट इंडिया रेलवे का संपर्क मथुरा में यमुना पर सेतु के बिना संभव नही था! ब्रिटिश राज (मथुरा) के पास पर्याप्त धनराशि नही थी! वार्षिक राजस्व आय भी इतनी ना थी की सेतु निर्माण के लिए धन एकत्र हो!

अच्छनेरा (राजपूताना रेलवे) एवम् हाथरस रोड (ईस्ट इंडिया रेलवे) को जोड़ने के लिए यमुना पर पुल निर्माण कोई योजना थी! सेठ लक्ष्मण दास ने ब्रिटिश सरकार को १२% ब्याज दर पर १.५ लाख रुपये उधार दिए! अच्छनेरा - हाथरस रोड रेलवे लाइन के निर्माण पर लागत 9,55,868 रुपये आई थी!

मथुरा के नगर सेठ लक्ष्मण दास पारीक जी ( जिन्होनेश्री द्वारिकाधीश मंदिर बनवाया) ने यमुना पर लोहे के पुल का निर्माण निजी धनराशि से कराया था! उन्हे इसके बदते इस पुल पर टोल वसूलने के अधिकार मिला था!

तथ्य:
* इससे पहले एक पांटून पुल था जिस पर टोल लगभग 45 हज़ार प्रतिवर्ष वसूला जाता था!
* पुल की कुल लागत: 3,00,000 (तीन लाख रुपये)
* इस यमुना पुल पर 98 फीट के 12 स्पॅन की डिज़ाइन तैयार की गयी थी! 
* मिट्टी के 33 फीट नीचे पक्की मिट्टी (क्ले) की नीव तैयार की गयी!
* इस पुल पर रेल, सड़्क यातायात की सुविधा थी एवम् दो फुटपाथ भी बनवाए गये थे!
* पुल के निर्माण का मुख्य: उद्देश्य राजपूताना रेलवे तो ईस्ट इंडिया रेलवे (अच्छनेरा से हाथरस रोड) को जोड़ना था!
* 19 अक्तूबर 1875 को इस रेलवे लाइन का उद्घाटन हुआ!

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