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Mokshda_Ekadashi

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 मोक्षदा एकादशी व्रत कथा मोक्षदा एकादशी का महत्त्व:  धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! मैंने मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी अर्थात उत्पन्ना एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा करके मुझे मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के विषय में भी बतलाइये। इस एकादशी का क्या नाम है तथा इसके व्रत का क्या विधान है? इसकी विधि क्या है? इसका व्रत करने से किस फल की प्राप्ति होती है? कृपया यह सब विधानपूर्वक कहिए। भगवान श्रीकृष्ण बोले : मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष मे आने वाली इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। यह व्रत मोक्ष देने वाला तथा चिंतामणि के समान सब कामनाएँ पूर्ण करने वाला है। जिससे आप अपने पूर्वजो के दुखों को खत्म कर सकते हैं। इसका माहात्म्य मैं तुमसे कहता हूँ, ध्यानपूर्वक सुनो। मोक्षदा एकादशी व्रत कथा: गोकुल नाम के नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे। वह राजा अपनी प्रजा का पुत्रवत पालन करता था। एक बार रात्रि में राजा ने एक स्वप्न देखा कि उसके पिता नरक में हैं। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। प्रात: वह विद्वान ब्राह्मणों के ...

श्री विवाह पञ्चमी व्रत कथा

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!!! श्री विवाह पञ्चमी व्रत कथा !!! मार्गशीर्ष माह, शुक्ल पक्ष, पंचमी तिथि मिथिला के   राजा जनक   को जब यह समाचार प्राप्त हुआ कि महामुनि   विश्वामित्र   पधारे हैं तब वे अपने मन्त्री, योद्धा, श्रेष्ठ ब्राह्मण, गुरु   शतानन्दजी   एवं श्रेष्ठ लोगों सहित प्रसन्नतापूर्वक मुनियों के स्वामी ऋषि विश्वामित्र से भेंट करने पहुँचे। राजा ने मुनि को नतमस्तक होकर प्रणाम किया। मुनियों में श्रेष्ठ विश्वामित्रजी ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया। तदुपरान्त ब्राह्मण मण्डली को आदर सहित प्रणाम किया एवं स्वयं को धन्य मानकर राजा आनन्दित हुये। उसी समय   भगवान श्रीराम   एवं   श्रीलक्ष्मण   जी दोनों भ्राता आ पहुँचे, जो फुलवारी देखने गये थे। रामजी की मधुर मनोहर मूर्ति को देखकर विदेह राजा जनक विशेष रूप से विदेह अर्थात् देह की सुध-बुध से रहित हो गये। राजा जनक ने मुनि के चरणों में सिर नवाकर प्रेम भरी गम्भीर वाणी से कहा - "हे नाथ! कहिये, ये दोनों सुन्दर बालक मुनिकुल के आभूषण हैं या किसी राजवंश के पालक? अथवा जिसका वेदों ने "नेति" कहकर गान किया है कहीं वह ब्रह्म तो युगलरूप ...