Posts

Showing posts with the label Braj

Tesu

Image
"टेसू एवम् झांझी" अमेरिका में ३१ अक्टूबर को हौलोवीन (halloween) मनाया जाता है... भारत के कुछ बड़े शहरों में भी अमेरिका की नकल करते हुए हौलोवीन की पार्टियाँ होती हैं!... परंतु हम भारतीय गौरे रंग एवम् विदेश से इतने प्रभावित होते हैं की अच्छा या बुरा सब नकल करते है; लेकिन अपनी भारतीय त्योहारों एवम् संस्कृति हो भूल जाते हैं! आपमें से शायद कुछ लोग 'टेसू एवम् झांझी' के बारें में अवश्य जानते होंगे; शायद अपने बचपन में टेसू खेले भी होंगे एवम् झांझी के गीत गाकर अपने मोहल्ले / गाँव में  घूमे भी होंगे! यही हौलोवीन है! अमेरिकन इतिहास एवम् संस्कृति काफ़ी नयी है (केवल ४०० वर्ष)! दुनियाभर से लोग आकर अमेरिका में बसे हैं और आज अमेरिकन हैं! यही भारतीय 'टेसू' अमेरिका में हौलोवीन है! (अमेरिका में इसकी शुरुआत, किदवंती अलग हो सकती है)! लेकिन 'टेसू एवम् झांझी' भारत (ब्रज) से खो से गये हैं!   क्यों? क्या कोई महनुभव टेसू की कथा एवम् झांझी के गाने के बारें में बताएँगे! आशा है, इससे हम बृजवासी शायद अपनी संकृति से पुन: जुड़ पाएँ! ========================...

Mathura-WaterWays

Image
जल-यातायात Mathura - 1891 ब्रिटिश समय में दिल्ली और आगरा के बीच जल यातायात के द्वारा व्यवसाय होता था! आगरा में यह हाथी-घाट इसका केंद्र था! मथुरा में यमुना में कई जेटी (jetty) थी! (मझोली, जैन्त, वृंदावन, कोसी, छाता, कोयलाघाट आदि) हाथरस की तरफ़ जाने वाला व्यवसायिक समान मथुरा में उतरा जाता था! मथुरा एवम् वृंदावन के बीच करीब ४० नाव रोज समान ढोती थी! ब्रिटिश एग्ज़िक्युटिव इंजिनियर Mr. Inglis के द्वारा आगरा नहर (Agra Canal) का निर्माण १८७५ में १,७७,८७६ रुपयों की लागत से कराया! इस नहर के निर्माण का मुख्य कारण सिंचाई एवम् जल-यातायात था! आगरा नहर का उपयोग भी, यमुना नदी की तरह जल-यातायात के लिए होता था! आगरा नहर का उपयोग भी जल यातायात के लिए होता था! इसमे १८७७-७८ में २० सरकारी एवम् ७२ प्राइवेट नाव चला करती थी! यमुना नदी एवम् आगरा नहर को जोड़ने के लिए अडिंग से यमुना तक नहर का निर्माण किया गया था! (आजकल जो कृष्णानगर का नाला है! वास्तविकता में यह नहर आगरा नहर से मथुरा तक का संपर्क थी!) यह नहर आगरा नहर को आडींग पर मिलती थी! अडिंग की आगरा केनाल से मथुरा के कुंड (भूतेश्वर...

Bado-Sako

Image
~~~~~ ' बड़ौ साकौ ' ~~~~~ (गजनवी के हमले का वर्णन )  - चम्पति कवि  दोहा- गजनी बारौ महमदा, दल बादल सौ छाइ । रावल तक डायौं कटक, मथुरा घेरी सो आइ ।। जै रतनेसुर नगरपति, जै महाविद्या माइ । चौबेन मौ साकौ कहौं, सब सुनियो ध्यान लगाइ ।। छन्द- आयौ महमदा अर्राती, होरी की झर सौ झर्रातौ । मन्दिर देव किये औंधे, चौबे बनिया सब रौंधे । महल हवेली ठाड़े रोवें, घाट वाट मरघटा में सौंमें । चौबे गूजर जादों अहीर, मूँड लिपेटैं कफ्फन चीर । लाठी सोटा फरसा बल्लम, जो पायौ सो लियौ अगल्लम । मार मार की परी पुकार, मच्यौ पुरी में हाहाकार । बेर छौंकरा हींस उपारे, लै लै चले जौम के मारे । भठ्ठिन तेल के चढ़े कढ़ाउ, पानी को खलबल खदकाउ । भाटा ईंट धरे असमानं, बज्र गिरैं नभ भौकी खानं । तीर चढ़ावत लिए कमण्ठा, बाज्यौ काल बली कौ घंटा । ज्वाला लोचन भैरौ रूप, फरकल अंग उछंग अनूप । कोउ पाइ न पांछै धरियौ, नीच मलेछल छाती छरियो । मथुरा मैया प्रान हमारी, याके काजैं सरबस बारी । ए आये ए आये हल्ला, पानी उतरे पार मुसल्ला । चमकाउत नंगी तरबारा, टोप मुंड घोड़न असवारा । घोड़ा झपटत शीश उतारें...

Mathura-History

Image
मथुरा Mathura - History at a glance मथुरा, तीन लोक से न्यारी नगरी का इतिहास बहुत उथल पुथल वाला रहा है! - प्राचीन इतिहास : मधु दैत्य की बाद यह मधु-वन उसके पुत्र लवणासुर के अधिकार मे आया! दशरथ पुत्र शत्रुघ्न जी ने लवणासुर का वध किया एवम् यह जंगल को साफ़ करवाकर शहर बसाया! शहर का नाम मधु-पुरी या मथुरा था! शत्रुघ्न जी के देवरोहण के बाद गोवेर्धन के राजा भीम ने मथुरा को अपने अधिकार क्षेत्र मे ले लिया! उसके बाद यह 'ज़दु' के अधिकार क्षेत्र में आया, इसी 'ज़दु वंश के आख़िरी राजा उग्रसेन थे! - मध्यकालीन एवम् आधुनिक इतिहास : ६ शताब्दी ईसा पूर्व: सुरसेन राज्य की राजधानी (सूरसेनी) २ शताब्दी ईसा पूर्व: बौद्ध धर्म की मथुरा मे शुरुआत मौर्या साम्राज्य (३२२ - १८५ ईसा पूर्व):अपने पूर्ण वैभव पर, बौद्ध धर्म की शुरुआत कुशान साम्राज्य (३० - ३७५ ईसवी): कनिष्क की राजधानी, पूर्ण वैभव, बौद्ध धर्म गुप्त साम्राज्य (३२० - ५५० ईसवी): आध्यात्म एवम् व्यवसाय का केन्द्र, पूर्ण वैभव, बौद्धधर्म का पतन ४११ ईसवी: चीनी यात्री फ़ाई-ह्यान मथुरा आया एवम् उसने मथुरा को बौद्ध धर्म का ...