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Mathura-WaterWays

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जल-यातायात Mathura - 1891 ब्रिटिश समय में दिल्ली और आगरा के बीच जल यातायात के द्वारा व्यवसाय होता था! आगरा में यह हाथी-घाट इसका केंद्र था! मथुरा में यमुना में कई जेटी (jetty) थी! (मझोली, जैन्त, वृंदावन, कोसी, छाता, कोयलाघाट आदि) हाथरस की तरफ़ जाने वाला व्यवसायिक समान मथुरा में उतरा जाता था! मथुरा एवम् वृंदावन के बीच करीब ४० नाव रोज समान ढोती थी! ब्रिटिश एग्ज़िक्युटिव इंजिनियर Mr. Inglis के द्वारा आगरा नहर (Agra Canal) का निर्माण १८७५ में १,७७,८७६ रुपयों की लागत से कराया! इस नहर के निर्माण का मुख्य कारण सिंचाई एवम् जल-यातायात था! आगरा नहर का उपयोग भी, यमुना नदी की तरह जल-यातायात के लिए होता था! आगरा नहर का उपयोग भी जल यातायात के लिए होता था! इसमे १८७७-७८ में २० सरकारी एवम् ७२ प्राइवेट नाव चला करती थी! यमुना नदी एवम् आगरा नहर को जोड़ने के लिए अडिंग से यमुना तक नहर का निर्माण किया गया था! (आजकल जो कृष्णानगर का नाला है! वास्तविकता में यह नहर आगरा नहर से मथुरा तक का संपर्क थी!) यह नहर आगरा नहर को आडींग पर मिलती थी! अडिंग की आगरा केनाल से मथुरा के कुंड (भूतेश्वर...

Mathura-History

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मथुरा Mathura - History at a glance मथुरा, तीन लोक से न्यारी नगरी का इतिहास बहुत उथल पुथल वाला रहा है! - प्राचीन इतिहास : मधु दैत्य की बाद यह मधु-वन उसके पुत्र लवणासुर के अधिकार मे आया! दशरथ पुत्र शत्रुघ्न जी ने लवणासुर का वध किया एवम् यह जंगल को साफ़ करवाकर शहर बसाया! शहर का नाम मधु-पुरी या मथुरा था! शत्रुघ्न जी के देवरोहण के बाद गोवेर्धन के राजा भीम ने मथुरा को अपने अधिकार क्षेत्र मे ले लिया! उसके बाद यह 'ज़दु' के अधिकार क्षेत्र में आया, इसी 'ज़दु वंश के आख़िरी राजा उग्रसेन थे! - मध्यकालीन एवम् आधुनिक इतिहास : ६ शताब्दी ईसा पूर्व: सुरसेन राज्य की राजधानी (सूरसेनी) २ शताब्दी ईसा पूर्व: बौद्ध धर्म की मथुरा मे शुरुआत मौर्या साम्राज्य (३२२ - १८५ ईसा पूर्व):अपने पूर्ण वैभव पर, बौद्ध धर्म की शुरुआत कुशान साम्राज्य (३० - ३७५ ईसवी): कनिष्क की राजधानी, पूर्ण वैभव, बौद्ध धर्म गुप्त साम्राज्य (३२० - ५५० ईसवी): आध्यात्म एवम् व्यवसाय का केन्द्र, पूर्ण वैभव, बौद्धधर्म का पतन ४११ ईसवी: चीनी यात्री फ़ाई-ह्यान मथुरा आया एवम् उसने मथुरा को बौद्ध धर्म का ...