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"टेसू एवम् झांझी"
अमेरिका में ३१ अक्टूबर को हौलोवीन (halloween) मनाया जाता है... भारत के कुछ बड़े शहरों में भी अमेरिका की नकल करते हुए हौलोवीन की पार्टियाँ होती हैं!... परंतु हम भारतीय गौरे रंग एवम् विदेश से इतने प्रभावित होते हैं की अच्छा या बुरा सब नकल करते है; लेकिन अपनी भारतीय त्योहारों एवम् संस्कृति हो भूल जाते हैं! आपमें से शायद कुछ लोग 'टेसू एवम् झांझी' के बारें में अवश्य जानते होंगे; शायद अपने बचपन में टेसू खेले भी होंगे एवम् झांझी के गीत गाकर अपने मोहल्ले / गाँव में घूमे भी होंगे! यही हौलोवीन है! अमेरिकन इतिहास एवम् संस्कृति काफ़ी नयी है (केवल ४०० वर्ष)! दुनियाभर से लोग आकर अमेरिका में बसे हैं और आज अमेरिकन हैं! यही भारतीय 'टेसू' अमेरिका में हौलोवीन है! (अमेरिका में इसकी शुरुआत, किदवंती अलग हो सकती है)!
लेकिन 'टेसू एवम् झांझी' भारत (ब्रज) से खो से गये हैं!
क्यों?
क्या कोई महनुभव टेसू की कथा एवम् झांझी के गाने के बारें में बताएँगे! आशा है, इससे हम बृजवासी शायद अपनी संकृति से पुन: जुड़ पाएँ!
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टेसूरा, टेसूरा, घंटा बजैयो, नौ नगरी, दस गांव बसइयो,
बस गए तीतर, बस गए मोर,
बूढ़ी डुकरिया लै गए चोर.
चोरन के घर खेती भई,
खाए डुकरिया मोटी भई,
मोटी है के, पीहर गई,
पीहर में मिले भाई भौजाई,
सबने मिलि कर दई बधाई!
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टेसू के गीत:-
१.
टेसू के भई टेसू के
पान पसेरी के
उड़ गए तीतर रह गए मोर
सड़ी डुकरिया लै गए चोर
चोरन के जब खेती भई
खाय डुकटटो मोटी भई।
२.
मेरा टेसू झंई अड़ा
खाने को मांगे दही बड़ा
दही बड़े में पन्नी
घर दो बेटा अठन्नी
अठन्नी अच्छी होती तो ढोलकी बनवाते
ढोलकी की तान अपने यार को सुनाते
यार का दुपट्टा साड़े सात की निशानी
देखो रे लोगे वो हो गई दिवानी।
३.
आगरे की गैल में छोकरी सुनार की
भूरे भूरे बाल उसकी नथनी हजार की
अपने महल में ढोलकी बजाती
ढोलकी की तान अपने यार को सुनाती
यार का दुपटटा साड़े सात की निशानी
दखो रे लोगो वो हो गई दिवानी।
४.
सेलखड़ी भई सेलखड़ी
नौ सौ डिब्बा रेल खड़ी
एक डिब्बा आरम्पार
उसमें बैठे मियांसाब
मियां साब की काली टोपी
काले हैं कलयान जी
गौरे हैं गुरयान जी
कूद पड़े हनुमान जी
लंका जीते राम जी।
५.
टेसू भैया बड़े कसाई
आंख फोड़ बन्दूक चलाई
सब बच्चन से भीख मंगाई
दौनों मर गए लोग लुगाई।
६.
टेसू रे टेसू घंटा बजइयो,
एक नगरी नौ गाम बसइयो।
बस गई नगरी बस गए मोर,
हरी चिरैया को ले गए चोर।
मेरा टेसू रंग-बिरंगा,
इसने भांग खाई है।
मां कहे मेरा उत्तर-पुत्तर,
बहन कहे मेरा भाई है।
७.
टेसू के भई टेसू के, टेसू खूब मचाये शोर |
उड़ गए तीतर रह गए मोर, सड़ी डुकरिया लै गए चोर
चोरन के जब खेती भई, खाय डुकटटो मोटी भई।
टेसू की गय्या हाय रे दैय्या , अस्सी डला भुष खाय |
बड़े ताल को पानी पिए, हगन बटेश्वर जाय |
८.
लम्बी चुटिया, बूचे कान,
टेसू बड़े दबंग जवान !
तीन टाँग से खड़े अकड़कर,
जैसे आए हों लड़-भिड़कर,
दिखा रहे हैं तीर-कमान,
टेसू बड़े दबंग जवान !
वीर बभ्रुवाहन कहलाते,
घर-घर जाकर अलख जगाते,
इनसे बढ़कर यही महान्,
टेसू बड़े दबंग जवान !
मूँछों पर हैं ताव निकाले,
इनका गुस्सा कौन संभाले?
रखते अजब निराली शान
टेसू बड़े दबंग जवान !
दिन में नहीं, रात में चलते,
किन्तु कमर पर दीपक जलते,
कभी न होती इन्हें थकान !
टेसू बड़े दबंग जवान !
९.
आगरे को जाएँगे, चार कौड़ी लाएँगे,
कौड़ी अच्छी हुई तो, टेसू में लगाएँगे,
टेसू अच्छा हुआ तो, गाँव में घुमाएँगे,
गाँव अच्छा हुआ तो, चक्की लगबाएँगे,
चक्की अच्छी हुई तो, आटा पिसवाएँगे,
आटा अच्छा हुआ तो, पूए बनवाएँगे,
पूए अच्छे हुए तो, गपगप खा जाएँगे,
खाकर अच्छा लगा तो बाग घूमने जाएँगे,
बाग अच्छा हुआ तो, माली को बुलाएँगे,
माली अच्छा हुआ तो, आम तुड़वाएँगे,
आम अच्छे हुए तो, घर भिजवाएँगे,
घर भिजवाकर, अमरस बनवाएँगे,
अमरस अच्छा हुआ तो, आगरे ले जाएँगे।
आगरे को जाएँगे, चार कौड़ी लाएँगे----------
१०.
टेसू रे टेसू घंटार बजइयो,
इक नगरी दो गाँव बसइयो,
बस गए तीतर, बस गए मोर,
फिरत चमारिया लै गए चोर,
चोरन के घर खेती हुई,
खाय चमरिया मोटी हुई,
मोटी है कै मायके आई,
माय कहै मेरी लाड़ो आई,
सिर के बाल कहाँ धर आई।
११.
उड़ गए तीतर रह गए मोर, गबरू बैल को ले गए चोर,
चोरों के घर खेती हुई, खाके चोरनी मोटी हुई,
मोटी होके मायके आई, देख हँसे सब लोग लुगाई,
गुस्सा होके पहुँची दिल्ली, दिल्ली से लाई दो बिल्ली,
एक बिल्ली कानी, सब बच्चों की नानी,
नानी नानी टेसू आया, संग में अपने झाँझी लाया,
मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को माँगे दही बड़ा,
दही बड़ा हो हइया, झट निकाल रुपइया,
रुपए के तो ला अखरोट, मुझको दे दे सौ का नोट।
१२.
मेरा टेसू यहीं खड़ा
मेरा दही बड़ा टेसू यहीं अड़ा, खाने को माँगे दही बड़ा,
दही बड़ा बहुतेरा, खाने को मुँह टेढ़ा।
१३.
आगरे की हाट में जाटनी बिहार की,
झुमके उसके लाख के तो नथनी हज़ार की।
बैठ के अपने रंगमहल में ढोलकी बजाती,
ढोलकी की तान अपने तोते को सुनाती।
तोता बैठा रेल में तो मैना भी संग में चढ़ी,
सीटी मार के धुआँ उड़ाती रेल फ़ौरन चल पड़ी।
रेल के पहले ही डिब्बे में टेसू जी थे खड़े हुए,
तीन टाँग और काली टोपी जिसमें लड्डू पड़े हुए।
लड्डू पेड़े खाने वाले काले हैं कल्यान जी,
दूध दूधिया पीने वाले गोरे हैं मलखान जी।
लाल सिंदूर लगा लंका में कूद पड़े हनुमान जी,
जय बोलो सीता मइया की लंका जीते राम जी।
१४.
एक पिटारा हमने खोला, उसमें से निकला भप्पू गोला,
भप्पू गोले को दिया तमाचा, कठपुतली बनकर वह नाचा।
कठपुतली ने गाड़े खूँट, बँधे मिले उनमें सौ ऊँट,
उन ऊँटों पर हुई सवारी, राह में मिल गई सड़ी सुपारी।
सड़ी सुपारी को जब काटा, उसमें से निकला नौ मन आटा,
नौ मन आटे की बनाई रोटी, उसमें से निकली झाँझी छोटी।
झाँझी ने जब घूँघट खोला, पीछे से यों टेसू बोला,
महाभारत की रेलमपेल, मैंने देखा सारा खेल।
कहता हूँ डंके की चोट, फौरन दे दो सौ का नोट।
१५.
टेसू आए बानवीर, हाथ लिए सोने का तीर,
एक तीर से पत्ते झाड़े, कान्हा जी देखत रहे ठाड़े।
कान्हा जी की बन्सी बाजी, राधा छून छनाछन नाची,
एक घुँघरू टूट गया, दूध का मटका फूट गया।
या तो जल्दी मटका जोड़ो, या फिर अपना बटुआ खोलो,
रुपया धेली जो कुछ हो, टेसू बीर के नाम पे दो।
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