Kishori-Raman
Kishori Raman
ठाकुर श्री किशोरी रमण जी महाराज मंदिर लाल दरवाजा रोड पर पोस्ट ऑफीस के सामने स्थित है! ठाकुर जी के इस मंदिर की मथुरा में बहुत सी संपत्तियाँ है, जिनमे ज़्यादातर सैक्षणिक संस्थान, व्यावसायिक स्थान एवम् अन्य संपत्तियाँ है!
---सैक्षणिक संस्थान---
- किशोरी रमण कन्या विध्यालय, घिया मंडी, मथुरा
- किशोरी रमण सिलाई, कढ़ाई विध्यालय, घिया मंडी, मथुरा
- किशोरी रमण गर्ल्स इंटर कॉलेज, भैंस बहोरा, मथुरा
- किशोरी रमण इंटर कॉलेज, मथुरा
- किशोरी रमण महाविध्यालय, मथुरा
- किशोरी रमण कन्या महाविध्यालय, मथुरा
- किशोरी रमण शिक्षण महाविध्यालय, मथुरा
---व्यावसायिक स्थान---
- किशोरी रमण गंज, घिया मंडी, मथुरा
- मंदिर परिसर में दुकानें...
- अज्ञात...
---अन्य संपत्तियाँ---
- मंदिर से जुड़ी खेती भूमि... अज्ञात...
- अज्ञात...
- अज्ञात...
भार्गव समाज के बंधु ठाकुर किशोरी रमण मंदिर ट्रस्ट में मुख्यत: सम्मलित रहे हैं! मंदिर से जुड़ी ज़्यादार संपत्तियों पर उनका अख्तियार और अब अतिक्रमण रहा है! घिया मंडी, मथुरा के सैक्षणिक संस्थान बंद हो चुके हैं! और बाकी संपत्तियों का लेखा जोखा भी ठीक अवस्था में नही है!
आज बात "किशोरी रमण (पी. जी.) महाविध्यालय, मथुरा" की बदहाली की करते हैं!
कुछ तथ्य:
- भरतपुर दरवाजा से आगे लगभग १८-२० एकड़ जगह पर यह महाविध्यालय स्थित है!
- १९४७ में इसकी स्थापना हयी थी!
- इस महाविध्यालय के लिए ज़मीन शायद राजा बलवंत सिंह (आवागढ़) ने दी थी!
- वाणिज्य, कला एवम् विज्ञान विभाग के अनुभाग हैं!
- कुछ सालों पहले तक सिर्फ़ भार्गव ही इस महाविध्यालय के प्रिन्सिपल हुआ करते थे!
- महाविध्यालय प्रबंधन कमेटी (मॅनेज्मेंट) में मुख्यत: भार्गव हैं!
- न्यायिक व्यवधानों, भ्रष्टाचार के कारण मथुरा जिलाधिकारी प्रबंधन मे सम्मलित हैं!
- इस महाविध्यालय में पिछले कई दशकों से कोई प्रगती नही हुई है!
- संस्थान की ज़मीन पर अवैध कब्जा हो रहा है!
- संस्थान के भवन धीरे-धीरे गिर रहें है; परंतु नया निर्माण नही हो रहा!
- जर्जर भवन के मरम्मत के नाम पर घोटाले होते रहें है, जिनकी न्यायिक जाँच चलती रहती है!
- इस संस्थान के एक प्राचार्य को घोटालों की वजह से बर्खास्त किया जा चुका है!
- संस्थान के छात्रावास को गिरे हुए लगभग २०-२५ साल हो चुके हैं!
कुछ सवाल:
- शहर के बीच लगभग १८-२० अकड़ के क्षेत्रफल में बसा महाविध्यालय प्रगती क्यों नही कर पा रहा?
- छात्रों की संख्या हमेशा पूरी रहती है! संस्थान अपनी भूमिका को ठीक से क्यों नही समझ पा रहा?
- हर साल, हर समय सिर्फ़ घोटाले होते रहते हैं... क्या यह संस्थान घोलते के लिए ही स्थापित हुया था?
- क्या मॅनेज्मेंट, प्रिन्सिपल, स्टाफ सब.. घोटालों के लिए ही इस संस्थान से जुड़े हैं?
- शिक्षण के लिए यह संस्थान एक मानक क्यों नही बना पा रहा?
- ज़्यादातर कक्षाएँ बिना प्राध्यापक के क्यों रहती है? क्या शिक्षक इस संस्थान से तनख़्वाह पाने की लिए ही जुड़े हैं?
और भी बहुत से सवाल हैं..
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